8 साल पहले बंद हो गया था ये स्कूल, अब विदेशों से देखने आ रहे लोग, जानें क्या है खासियत
देश में सरकारी स्कूलों की छवि धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बदल रही है। सरकारी स्कूलों को बच्चों के उपयोगी बनाने के लिए कई प्रयास राजस्थान में भी चल रहे हैं। ऐसा ही एक सरकारी स्कूल है धौलपुर का। कभी बंद हो चुके स्कूल की अब पूरी सूरत ही बदल गई है, इस स्कूल को अब रेल और हेरिटेज का लुक दिया गया है
| 29 Apr 2022
Newz Fast, Rajasthan भारतीय रेल और हेरिटेज लुक में नजर आने वाले राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय शेरपुर की चर्चा देश ही नहीं विदेशों तक है। स्कूल की व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए बीते दिनों विदेशी नागरिक और आगरा टूरिज्म के अधिकारियों ने दौरा किया। वे स्कूल के लुक, सुविधाओं और बेहतर संचालन से इतने प्रभावित हुए कि जल्द ही विदेशी मेहमानों के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल को स्कूल का दौरा कराया जाएगा।
स्कूल में भ्रमण के लिए पहुंचे इटालियन नागरिक मार्को कालो ने पर्यटन मंत्रालय के पदाधिकारियों के साथ स्कूल की सुविधाओं और संसाधनों का जायजा लिया। इसके साथ ही स्टूडेंट के शैक्षणिक स्तर और उनको मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने स्कूल के छात्रों के लिए बेहतरीन संसाधनों की मदद का भरोसा भी दिलाया।
और विदेशी मेहमान आएंगे
आगरा पर्यटन मंत्रालय गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव सिंह ठाकुर ने कहा कि बहुत कम सरकारी स्कूल शेरपुर की तरह मिलते हैं, इसीलिए जल्द विदेशी मेहमानों के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल को स्कूल में बुलाकर व्यवस्थाओं को दिखाया जाएगा। विदेशी मेहमान मार्को कालो ने स्कूल का निरीक्षण करते हुए कहा कि स्कूल के शिक्षकों ने इस स्कूल को निजी स्कूलों से भी बेहतर बनाकर सरकारी स्कूलों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है।
ग्रामीणों ने 3 महीने तक रोज भेजे ज्ञापन, तब फिर खुला
शेरपुर स्कूल में 30 छात्र होने के कारण सरकार ने एकीकरण के बाद वर्ष 2014 में इसे बंद कर दिया था। इससे नाराज ग्रामीणों ने 3 महीने तक सरकार को रोज ज्ञापन भेजकर फिर से स्कूल शुरू करने की मांग की। ग्रामीणों की मांग पर सरकार ने एक बार फिर से शेरपुर को राजकीय प्राथमिक विद्यालय के तौर पर शुरू कर दिया।
इस बदलाव से आकर्षित हुए बच्चे
हेड मास्टर राजेश शर्मा ने स्कूल के फिर से शुरू होने के बाद छात्रों का नामांकन बढ़ाने के बारे में विचार किया। अभिभावकों का रुख निजी कॉन्वेंट स्कूल से हटाने के लिए स्टाफ ने मिलकर सबसे पहले स्कूल का लुक भारतीय रेल के डिब्बों जैसा कर दिया। बच्चों की सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे और ठंडे पानी के लिए वाटर कूलर लगवाया है।
लाइब्रेरी, छोटे बच्चों के लिए निजी स्कूलों की तरह कुर्सी-टेबल, झूले, खिलौने, खेलने के सामान आदि की व्यवस्था गई है। इसको देखकर अभिभावकों ने निजी कान्वेंट स्कूल को छोड़कर अपने बच्चों को सरकारी स्कूल शेरपुर में भेजना शुरू कर दिया।
स्कूल का लुक बदल जाने के बाद नतीजा यह रहा कि आज स्कूल में 400 से भी अधिक बच्चों का नामांकन है। शेरपुर के साथ आसपास के आधा दर्जन गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं। स्कूल में बढ़ते नामांकन के बाद सरकार ने इस वर्ष इसे क्रमोन्नत कर 8वीं तक कर दिया है।

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